महाकुंभ 2025; मकर संक्रांति पर पहला शाही स्नान, हर-हर गंगे-हर-हर महादेव का उद्घोष, रेती पर उतरा देवलोक – MAHA KUMBH MELA 2025
महाकुंभ 2025.
महाकुंभ 2025.
प्रयागराज: महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज मकर संक्रांति पर हो रहा है. इस पुण्य बेला में लाखों श्रद्धालु रात से ही मेला क्षेत्र में आने लगे थे. सुबह से ही संगम स्नान शुरू हो गया. मेला क्षेत्र में हर तरफ उल्लास और उमंग का माहौल है. सुबर 6.15 बजे से ही अखाड़ों का स्नान क्रमवार शुरू हो गया. साधु-संन्यासियों का रेला हर-हर महादेव, हर-हर गंगे का उद्घोष करते हुए संगम तट पर बढ़ चला. वहीं संतों के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु मार्ग के दोनों तरफ खड़े रहे. श्रद्धालुओं का जत्था मेला क्षेत्र के सभी मार्गों से गंगा तटों की ओर बढ़ रहा है. कुंभ में 12 किमी के दायरे में सभी घाटों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा है. वहीं, संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर पर श्रद्धालुओं को आज दर्शन नहीं मिलेगा. जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने इसकी जानकारी दी.
मकर संक्रांति का पुण्यकाल
मकर संक्रांति पर इस बार कोई भद्रा नहीं है. सुबह से शाम तक शुभ रहेगा. भारतीय ज्योतिष अनुसंधान परिषद की प्रयागराज चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी के मुताबिक, इस बार महापुण्यकाल की अवधि सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक रहेगी, जो 1 घंटा 47 मिनट होगी. मकर संक्रांति सूर्य की स्थिति के आधार पर मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान स्नान, दान, और तिल-गुड़ के सेवन से व्यक्ति पुण्य अर्जित करता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति को ‘तिल संक्रांति’ भी कहा गया है. इस दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, नमक और घी का दान विशेष फलदायी माना गया है.
महाकुंभ में मकर संक्रांति स्नान पर्व पर भक्तों का सैलाब.
किस तरह के दान से कैसा मिलता है लाभ, जानिए
प्रयागराज: मकर संक्रांति पर दान करना पुण्यदायी है. आइए जानते हैं किस तरह के दान से कैसा लाभ मिलता है.
तिल और गुड़ का दान: यह पापों का नाश और पुण्य लाभ प्रदान करता है.
नमक का दान: बुरी ऊर्जा और अनिष्टों का नाश करता है.
खिचड़ी का दान: चावल और उड़द की दाल की खिचड़ी दान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है.
घी और रेवड़ी का दान: भौतिक सुख, मान-सम्मान, और यश प्राप्त होता है. पक्षियों को दाना और जानवरों को भोजन: यह कर्म अत्यधिक फलदायी माना जाता है.
मकर संक्रांति पर मंत्र जाप का महत्व: डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी ने बताया कि मकर संक्रांति पर स्नान और दान के बाद सूर्यदेव के 12 नामों का जाप और उनके मंत्रों का उच्चारण जीवन की कई समस्याओं को समाप्त कर सकता है. यह मंत्र जाप सूर्य देव की कृपा पाने का उत्तम साधन है.
आकर्षक का केंद्र बने साधु-संन्यासी.
आकर्षक का केंद्र बने साधु-संन्यासी.
अखाड़ों के स्नान का अलग-अलग समय, सबसे पहले ये दो अखाड़े
प्रयागराज: अभेद्य सुरक्षा- व्यवस्था के बीच महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान शुरू है. आस्था, उमंग, उल्लास और आह्लाद के बीच श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सुबह 06:15 बजे पहला अमृत स्नान किया. हर हर गंगे के गगनभेदी उद्घोष के बीच नागा साधुओं ने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में अमृत की डुबकी लगाई. इससे पहले अखाड़ों में अमृत स्नान के लिए देर रात तक तैयारी चलती रही. बग्घियां, चांदी के हौद, महामण्डलेश्वरों के रथ देर रात तक फूलों से सजाये जाते रहे.
महाकुंभ में श्रद्धालुओं का उमड़ा रेला
संगम तट पर पहुंचने लगे साधु-संन्यासी, शाही स्नान शुरू
प्रयागराज: महाकुंभ में शाही स्नान शुरू हो गया है. इसी के साथ अखाड़ों के साधु-संत संगम तट पर पहुंचने लगे हैं. इसी के साथ 12 किमी के दायरे में विभिन्न गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं.
महाकुंभ पर आस्था का सैलाब.
महाकुंभ पर आस्था का सैलाब.
गंगा घाटों की तरफ उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम, हर तरफ उल्लास
प्रयागराज: महाकुंभ में गंगा तटों की ओर श्रद्धालुओं का जत्था लगातार बढ़ रहा है. हर-हर गंगे के उद्घोष के नारे लग रहे हैं. श्रद्धालुओं के साथ अखाड़ों ने भी स्नान की पूरी तैयारी की है और कुछ ही देर में शाही स्नान शुरू हो जाएगा.
महाकुंभ में मकर संक्रांति स्नान पर्व पर भक्तों का सैलाब

