बंगाल प्रेसीडेंसी से लेकर संयुक्त प्रांत तक, सदियों पुराना है यूपी का इतिहास, अब तक 15 में से 14 पीएम भी यूपी से


बंगाल प्रेसीडेंसी से लेकर संयुक्त प्रांत तक, सदियों पुराना है यूपी का इतिहास, अब तक 15 में से 14 पीएम भी यूपी से
UP Diwas: उत्तर प्रदेश का इतिहास सदियों पुराना है. कभी ये बंगाल प्रसीडेंसी का हिस्सा रहा तो कभी ये संयुक्त प्रांत के रूप में जाना गया. बदलते समय के साथ इसका राजनीतिक महत्व भी बढ़ता गया और देश के 15 में से 14 प्रधानमंत्री भी यहीं से निकले हैं.

बंगाल प्रेसीडेंसी से लेकर संयुक्त प्रांत तक, सदियों पुराना है यूपी का इतिहास, अब तक 15 में से 14 पीएम भी यूपी से

UP Diwas Special: कभी संयुक्त प्रांत कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश ने अपने लंबे और गौरवशाली इतिहास में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं. 24 जनवरी, 1950 को, भारत के संविधान को अपनाने से पहले, इस राज्य को “संयुक्त प्रांत” से बदलकर “उत्तर प्रदेश” का नाम दिया गया. तब से यह राज्य भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक बनकर उभरा है. 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार ‘उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस’ को मान्यता दी और इसे राज्य के इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों को सम्मानित करने के दिन के रूप में मनाना शुरू किया.

उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक सफर
उत्तर प्रदेश का इतिहास सदियों पुराना है. यह 1834 तक बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. प्रशासनिक जरूरतों के तहत 1836 में इसे आगरा प्रेसीडेंसी का नाम दिया गया. 1858 में भारत के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद को प्रशासनिक मुख्यालय बनाया, और धीरे-धीरे इस क्षेत्र का राजनीतिक महत्व बढ़ता गया. 1902 में इसका नाम बदलकर ‘आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत’ रख गया था.

1921 में तत्कालीन राज्यपाल सर हरकोर्ट बटलर ने राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित किया. 1937 में इसे ‘संयुक्त प्रांत’ के रूप में जाना जाने लगा. 24 जनवरी, 1950 को, भारतीय संविधान लागू होने से कुछ ही दिन पहले, इसका नाम बदलकर ‘उत्तर प्रदेश’ कर दिया गया.

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर
उत्तर प्रदेश न केवल भारत का सबसे बड़ा राज्य है, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास और धर्म का अद्भुत संगम भी है. यह भूमि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा, और भगवान बुद्ध के निर्वाण स्थल कुशीनगर के लिए प्रसिद्ध है. यहां के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में वाराणसी, जिसे दुनिया का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है, और प्रयागराज, जहां कुंभ मेले का आयोजन होता है, शामिल हैं. प्रेम का प्रतीक आगरा का ताजमहल भी इसी राज्य में स्थित है.

1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की खास भूमिका रही. मेरठ, कानपुर और झांसी जैसे शहर इस संग्राम के प्रमुख केंद्र थे. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म भी इलाहाबाद में हुआ.

उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का महत्व
उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस पहली बार 24 जनवरी 2018 को मनाया गया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे राज्य के गौरवशाली इतिहास और उपलब्धियों को मनाने के एक विशेष दिन के रूप में घोषित किया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता, समृद्ध इतिहास और आधुनिक विकास को उजागर करना है.

राज्य सरकार हर साल इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और सेमिनारों का आयोजन करती है, जहां राज्य की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाता है. इस अवसर पर किसानों, उद्यमियों और कलाकारों को भी सम्मानित किया जाता है.

देश के लिए योगदान
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जो 75 जिलों और 24 करोड़ से अधिक लोगों का घर है. यह न केवल जनसंख्या के मामले में अग्रणी है, बल्कि यह देश के राजनीति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत के 14 प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से ही आए हैं.

राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि, हस्तशिल्प, पर्यटन और उद्योगों पर आधारित है. गंगा-यमुना का दोआब क्षेत्र इसे अत्यंत उपजाऊ बनाता है. साथ ही राज्य में औद्योगिक विकास के लिए कई पहल की गई हैं, जैसे डिफेंस कॉरिडोर और एक्सप्रेसवे का निर्माण.

उत्तर प्रदेश का विभाजन
उत्तर प्रदेश के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण घटना 9 नवंबर, 2000 को हुई, जब इसे विभाजित कर एक नया राज्य उत्तराखंड बनाया गया. यह निर्णय पहाड़ी और तराई क्षेत्रों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया.

आधुनिकता की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश
आज उत्तर प्रदेश अपनी ऐतिहासिक जड़ों को संजोते हुए आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है. यह राज्य न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि स्टार्टअप्स और औद्योगिक विकास के लिए भी एक आकर्षण केंद्र बन रहा है.

उत्तर प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं, जैसे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP), ने राज्य के पारंपरिक शिल्प और उद्योगों को नई पहचान दी है.

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