वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक सोमवार को लोकसभा में नहीं होगा पेश

वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक सोमवार को लोकसभा में नहीं होगा पेश

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक सोमवार को लोकसभा में नहीं होगा पेश

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक कल सोमवार को लोकसभा में पेश नहीं किया जाएगा। सोमवार के लिए जारी संशोधित कार्य सूची में इस बिल का नाम नहीं है। पहले जारी कार्यक्रम में इस बिल को सोमवार के एजेंडे में शामिल किया गया था। इसमें कहा गया था, “अर्जुन राम मेघवाल संविधान में और संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश करने के लिए अनुमति मांगेंगे। साथ ही वह इस विधेयक को पेश करेंगे।”

इसके अलावा, मंत्री को ‘केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’ भी पेश करना था। यह विधेयक ‘केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963’, ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991’ और ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019’ में संशोधन करने का प्रस्ताव करता है।

पहला वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का सुझाव देता है जबकि दूसरा दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों को एकसमान करने पर केंद्रित है। हालांकि, संशोधित सूची में इन विधेयकों का उल्लेख नहीं है।

गौरतलब शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होने वाला है ऐसे में ये विधेयक लोकसभा अध्यक्ष की स्वीकृति से अंतिम समय में पूरक कार्य सूची के माध्यम से पेश किए जा सकते हैं।

इससे पहले गुरुवार को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’ को मंजूरी दी थी। वहीं शुक्रवार शाम को ये विधेयक सांसदों को वितरित किए गए।

ये प्रस्ताव पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है। समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें लंबे चुनाव चक्रों से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया।

191 दिनों में तैयार की गई 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया कि एक साथ चुनाव कराने से नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित होगी, मतदाता थकान कम होगी, और चुनावी भागीदारी बढ़ेगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कई विपक्षी नेताओं ने इस प्रस्ताव की आलोचना की। उन्होंने इसे अव्यवहारिक और संघीय ढांचे के लिए खतरा बताया। साथ ही, उन्होंने सरकार के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पेश करने की योजना पर सवाल उठाए।

हालांकि संशोधित कार्य सूची में ‘गोवा राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व पुनर्समायोजन विधेयक, 2024’ शामिल है। यह विधेयक गोवा की विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण को सुनिश्चित करने और राज्य की अनुसूचित जनजातियों की सूची में हाल के परिवर्तनों के आधार पर सीटों को फिर से समायोजन करने का प्रावधान करता है।

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