अब मिल्कीपुर की महाभारत; अयोध्या की चर्चित सीट पर 5 फरवरी को उपचुनाव, सीएम योगी-अखिलेश की अग्नि परीक्षा

अब मिल्कीपुर की महाभारत; अयोध्या की चर्चित सीट पर 5 फरवरी को उपचुनाव, सीएम योगी-अखिलेश की अग्नि परीक्षा – BY ELECTION MILKIPUR
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की बात बन गई है. आइए जानते हैं चुनाव का पूरा शेड्यूल
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव

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लखनऊ: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. मिल्कीपुर में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को परिणाम आएगा. वहीं, 10 से 17 जनवरी तक नामांकन होगा. 18 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच और 20 जनवरी तक नामांकन वापस लिये जा सकते हैं. इस सीट पर उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पहले से ही कमर कस ली है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने पूरी रणनीति बना ली है.

बता दें कि समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के फैजाबाद सीट से लोकसभा सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी. इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी पहले से घोषित कर दिया है. अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार के बाद बीजेपी के लिए ये प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है. यही वजह है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस सीट की जिम्मेदारी ली है. सीएम योगी लगातार अयोध्या दौरा कर इस सीट को जीतने की रणनीति बना रहे हैं. इसके साथ ही कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भी जीत मूल मंत्र देकर क्षेत्र में उतार दिया है. इसके अलावा सरकार के 6 मंत्रियों और दोनों डिप्टी सीएम को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है.

बता दें कि हाल ही में यूपी के 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संपन्न हुए हैं. इनमें फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर, मीरापुर, सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी विधानसभा सीटे थीं. इसमें कानपुर की सीसामऊ सीट को छोड़कर अन्य सभी सीटें विधायकों के सांसद बन जाने की वजह से खाली हुई थी. उपचुनाव में भाजपा 7 सीटों पर जीत हासिल की है.

लेकिन एक याचिका की वजह से इन नौ सीटों के साथ मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं हो सका था. मामला हाइकोर्ट में लंबित होने का कारण बताया गया था. पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने अवधेश प्रसाद (मिल्कीपुर के पूर्व विधायक, अब अयोध्या सांसद) के चुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन बाद में गोरखनाथ ने अपनी याचिका वापस ले ली थी

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