महाकुंभ भगदड़ पर अखिलेश ने यूपी सरकार को घेरा, कहा- जब निमंत्रण दिया तो इंतजाम क्या किया?

महाकुंभ भगदड़ पर अखिलेश ने यूपी सरकार को घेरा, कहा- जब निमंत्रण दिया तो इंतजाम क्या किया? – MAHA KUMBH STAMPEDE
मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि मुवाजा कम देना पड़े, इसलिए आंकड़ा छिपा रही योगी सरकार

लखनऊः संसद में आज से बजट सत्र की शुरुआत हो गई है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव सदन में प्रयागराज महाकुंभ में हुए भगदड़ पर चर्चा चाहते हैं.

अखिलेश यादव सत्र में शामिल होने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहते है कि “बजट की बात तो बाद में होगी. यह सत्र और आज का दिन, कुंभ में जिनकी जान गई है, उनकी शांति के लिए बात रखी जाएगी.”

प्रदेश सरकार को घेरते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार महाकुंभ में हुई भगदड़ का सही आकड़ा छुपा रही है, जिससे उन्हें काम मुआवजा देना पड़े. सरकार ने जब निमंत्रण दिया है, तो तैयारी क्या थी? यह सरकार की गलती है. जो अभी भी लोग फंसे हैं, सड़कों पर उनका इंतजाम करें. जब आपने प्रचार इतना किया तो इंतजाम क्या किया? अब तो साधु संत भी कहने लगे हैं कि आप झूठे हैं.”

इससे पहले अखिलेश यादव सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को कुछ सुझाव भी दिए हैं. जिसमे उन्होंने लिखा है कि भोजन-पानी के लिए जगह-जगह दिन-रात ढाबे खोलने और भंडारों के आयोजन की अपील की जाए. प्रदेश भर से मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ़ को स्वयंसेवी लोगों के दुपहिया वाहनों के माध्यम से दूरस्थ इलाक़ों में फंसे लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था हो. महाकुंभ के आस-पास और प्रदेश भर में मीलों तक फंसे वाहनों को पेट्रोल-डीज़ल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए. वही, दवाई की दुकानों को दिन-रात खोलने की अनुमति दी जाए. ठंड में फसे लोगों को कपड़े और कंबल दिये जाए.

इसके अलावा अखिलेश ने X पर लिखा है कि ‘महाकुंभ में जिन लोगों के अपने बिछड़ गये हैं, सूचना के अभाव में उनके अंदर ये आशंका जन्म ले रही है कि कहीं उन्होंने अपने परिवार, परिजनों को हमेशा के लिए तो नहीं खो दिया है. इस आशंका को दूर करने के लिए एक सरल उपाय ये है कि सरकार महाकुंभ हादसे में जीवन गंवाने वालों की सूची जारी कर दे. यदि मृतक चिन्हित नहीं हैं तो उनके वस्त्र-चित्रादि माध्यम से पहचान करायी जाए. इस प्रयास से आशंकाओं का उन्मूलन होगा और तीर्थयात्रियों में इस आशा का संचार होगा कि उनके अपने खोए ज़रूर हैं, पर सद्प्रयासों आज नहीं तो कल मिल ही जाएंगे.

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